नई दिल्ली। राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद अध्यक्ष विहीन चल रही कांग्रेस पार्टी के अंदर ही रोष के सुर सुनाई पड़ने लगे हैं। पार्टी के कई नेताओं ने नए अध्यक्ष के चुनाव में हो रही देरे को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद अब पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने भी कांग्रेस के लिए युवा नेतृत्व को जरूरी बताया है। जिसके बाद प्रियंका गांधी के नाम की सुगबुगहाट शुरू हो गई है।
कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव में हो रही देरी को लेकर शशि थरूर ने कहा कि, मेरे हिसाब से हो रही देरी हमें नुकसान पहुंचा रही है। इस स्थिति से ऐसा मैसेज जा रहा है कि, हमारे बीच मतभेद है और हम अनिर्यण की स्थिति में हैं। पार्टी के कुछ बड़े नामों ने भी मुझे से इसी तरह की हताशा व्यक्त की है। थरूर ने कहा कि, सबसे पहले हमले एक अंतरिम अध्यक्ष को चुनना होगा या फिर एक व्यक्ति को चुनना होगा जो फैसले ले सके।
थरूर ने आगे कहा कि, अगर गोवा जैसी स्थिति पैदा होती है तो जहां विपक्ष का नेता पार्टी को लेकर साथ छोड़कर चला गया उसे रोकने, मनाने और बहस करने वाला होना चाहिए। सिर्फ होने के बजाय कुछ करने के लिए। ऐसा ही कुछ कर्नाटक में देखने को मिला, वहां पर डीके शिवकुमार ने बीजेपी से शानदार लड़ाई लड़ी, लेकिन उस समय उन्हें पीछे से सपोर्ट देने वाला कोई भी राष्ट्रीय स्तर का नेता खड़ा नहीं हुआ। उसी समय, इस प्रक्रिया को खोलना महत्वपूर्ण है क्योंकि अभी, बहुत सारे लोग का हमारे उपर से विश्वास खत्म हो रहा है।
थरूर ने कहा कि, यदि वे इस प्रक्रिया को खोलते हैं, तो अंतरिम अध्यक्ष का नाम, कार्यसमिति को भंग करना, एक समय सीमा के भीतर चुनावों कराना तय किया जा सकता है। जिसमें कई उम्मीदवार आगे आ सकते हैं। थरूर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी आज जिस स्थिति में है, वैसी स्थिति में पार्टी के लिए युवा नेतृत्व ही सबसे उपयुक्त है। थरूर ने कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर कार्यकारिणी भंग करने और सभी पदों के लिए चुनाव कराने की सलाह दी। उन्होंने नेतृत्व तय करने का अधिकार अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेताओं को देने की मांग करते हुए कहा कि इससे नेताओं की स्वीकार्यता बढ़ेगी।